A Review Of baglamukhi shabar mantra
A Review Of baglamukhi shabar mantra
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Baglamukhi, often known as Bagala, is a Hindu goddess that is revered as one of many 10 Mahavidyas. Worshipping Baglamukhi has the final word advantage of getting rid of the devotees’ delusions and misunderstandings.
Om BAGLAMUKHI mahakruri shatru ki jihwa ko pakarkar mudgar se prahar kar, ang pratyang stambh kar ghar badham vyapar badham triaha badham chauraha badham char khoot marghat ke bandh jadu tona totka badham dust dustrane ki bidhya bandh chal kapat prapanchon ko bandh satya naam Adesh guru ka.
इस प्रकार के तमाम चमत्कारों को देखते हुए तंत्र साधना मे विशेष शत्रू को दण्ड देने के लिए इन मंत्रों की रचनाएं की और इनके प्रभाव भी विशेष प्रभाव शाली है। वहीं अगर अन्य तंत्र मंत्र की वात की जाये तव वह सब मत्रं और तंत्र ऋषि महर्षियों नें ही मंत्रों की रचनायें की है। तब से अब तक यह विशेष प्रभाव शाली है। नाथों में यह मत्रं शाबर मत्रं विशेष प्रभाव शाली है जो की बड़े से बड़े शत्रु संघारक प्रयोग करने में सक्षम है; शाबर मत्रं वाक़ई चमत्कारी है।
To chant a Shabar mantra effectively, Sit easily and focus your mind. Repeat the mantra with crystal clear pronunciation. Retain a gradual rhythm and breath, completing at the very least 108 repetitions.
Set your intention: Before you decide to begin, make clear your goal. What does one hope to realize? Visualise your aim as you get ready to chant.
‘‘जय जय बगला महारानी, अगम निगम की तुम्हीं बखानी, संकट में घिरा दास तुम्हारो,
Worshipping Ma Baglamukhi is a certain website method to subdue and defeat your adversaries. The mantras, nonetheless, can only make undesirable results When they are utilised with wicked intentions.
It really is thought that Devi Baglamukhi has the spiritual electricity to paralyze an enemy’s speech. Bagalamukhi is excellent to phone when there lies and gossips are floating about us. Bagalamukhi is also known as “Brahmaastra” and Stambhan Devi.
अथर्वा प्राण सूत्र् टेलीपैथी व ब्रह्मास्त्र प्रयोग्
जीवहारं केलया, बुद्धिं विनाशाय हरिं अम स्वाहा”
ॐ ह्रीं ऎं क्लीं श्री बगलानने मम रिपून नाशय नाशय ममैश्वर्याणि देहि देहि शीघ्रं मनोवान्छितं साधय साधय ह्रीं स्वाहा ।
यदि आप निरपराधी हैं और शत्रु आप पर लगातार तंत्र का दुरूपयोग कर आप को परेशान कर रहा है, तब माँ के दंड विधान प्रयोग करने में विलम्ब न करें, जब तक दुष्ट को उसकी दुष्टता का दंड नहीं मिल जाता, वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करता ही रहता है।